आजकल अधिकांश महिलाएं चूड़ियां नहीं पहनती हैं। इस कारण कई महिलाओं को कमजोरी और शारीरिक शक्ति का अभाव महसूस होता है। जल्दी थकान हो जाती है और कम उम्र में ही गंभीर बीमारियां घेर लेती हैं। जबकि, पुराने समय में महिलाओं के साथ ऐसी समस्याएं नहीं होती थीं। उनका खानपान और नियम-संयम भी उनके स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखता था। चूड़ियों के कारण स्त्रियों को ऐसी कई समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है।
शारीरिक रूप से महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक नाजुक होती हैं।चूड़ियां पहनने से स्त्रियों को शारीरिक रूप से शक्ति प्राप्त होती है। पुराने समय में स्त्रियां सोने या चांदी की चूड़ियां ही पहनती थी। सोना और चांदी लगातार शरीर के संपर्क में रहता है, जिससे इन धातुओं के गुण शरीर को मिलते रहते हैं।
महिलाओं को शक्ति प्रदान करने में सोने-चांदी के आभूषण भी मुख्य भूमिका अदा करते हैं। हाथों की हड्डियों को मजबूत बनाने में सोने-चांदी की चूड़ियां श्रेष्ठ काम करती हैं।
आयुर्वेद के अनुसार भी सोने-चांदी की भस्म शरीर को बल प्रदान करती है। सोने-चांदी के घर्षण से शरीर को इनके शक्तिशाली तत्व प्राप्त होते हैं, जिससे महिलाओं को स्वास्थ्य लाभ मिलता है। इस कारण अधिक उम्र तक वे स्वस्थ रह सकती हैं।
चूड़ियों के संबंध में धार्मिक मान्यता यह है कि जो विवाहित महिलाएं चूड़ियां पहनती हैं, उनके पति की उम्र लंबी होती है। आमतौर पर ये बात सभी लोग जानते हैं। इसी वजह से चूड़ियां विवाहित स्त्रियों के लिए अनिवार्य की गई है। किसी भी स्त्री का श्रृंगार चूड़ियों के बिना पूर्ण नहीं हो सकता। चूड़ियां स्त्रियों के 16 श्रृंगारों में से एक है।
जिस घर में चूड़ियों की आवाज आती रहती हैं, वहां के वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा नहीं रहती है। चूड़ियों की आवाज भी सकारात्मक वातावरण निर्मित करती है। जिस प्रकार मंदिर की घंटी की आवाज वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है, ठीक उसी प्रकार चूड़ियों की मधुर ध्वनि भी वही कार्य करती है।
जिस घर में महिलाओं की चूड़ियों की आवाज आती रहती है, वहां देवी-देवताओं की भी विशेष कृपा बनी रहती है। ऐसे घरों में बरकत रहती है और वहां सुख-समृद्धि का वास होता है। साथ ही, यह बात भी ध्यान रखने योग्य है कि स्त्री को अपना आचरण भी पूर्णतया धार्मिक रखना चाहिए। केवल चूड़ियां पहनने से ही सकारात्मक फल प्राप्त नहीं हो पाते हैं।
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